इस रोग से पेट में अधिक गैस बनती है!
गैस बाहर निकालकर पेट फूल जाता है!
पशु को सॉस लेने में तकलीफ होती हैं!
पशु का पेशाब रूक जाता है!
पशु बैचेन हो जाता है!
शीर्घ उपचार न मिले तो तो पशु की मौत भी हो सकती है!
उपचार हेतु 500मिली.अलसी के तेल में!50-60 मिली. तारपीन का तेल मिलाकर नाल व्दारा पशु को पिला देना चाहिए!
बड़े पशुओं को 500 मे मिली. अलसी का तेल में 100मिली.तारपीन का तेल +100 ग्राम नौसादर + 50 ग्राम हींग का चूरा मिलाकर पिला देना चाहिए!
अगर पशु की हालत चिन्ता जनक हो तो पशु के पेट के बायी ओर कोख के माध्यम टोकर कैनुला नामक यंत्र से छेद करके गैस पेट से निकाल देनी चाहिए !! न्
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