गुरुवार, 30 जून 2016

फसल एवं फसलों का वर्गीकरण


फसल (crop) - 

फसल पौधों के उस समूह को कहते हैं, जिसे मनुष्य किसे उद्देश्य की पूर्ति के लिए उगता है उसे फसल कहते है! 


 फसलों का वर्गीकरण - सामान्यतः फसलों का वर्गीकरण निम्न आधार पर किया जाता है! 


 (A) पौधों के जीवन काल के आधार पर वर्गीकरण -

 जीवन चक्र के आधार पर फसलों को निम्न तीन भागों में बॉटा गया है - 

(1) एक बर्षीय फसलें (Annual crops) - जो फसलें अपना जीवन चक्र एक बर्ष के अन्दर पूरा करती हैं उन्हें! जैसे - गेहूँ, चना, जौ, सोयाबीन आदि !

 (2) व्दिबर्षीय फसलें (Biennial crops) - जो फसलें अपना जीवन चक्र दो बर्ष में पूरा करती हैं अर्थात पहले बर्ष में वृद्धि करती है और दूसरे बर्ष में बीज उत्पादन करती है., जैसे - चुकन्दर, प्याज, आदि!


 (3) बहुबर्षीय फसलें (Berennial crops) - इस वर्ग की फसलें अनेक बर्षो तक जीवित रहती है., जैसे - लूर्सन, नेपियर आदि! 


(B) ऋतुओं के आधार पर वर्गीकरण Classification According to Seasons) - 



(1) खरीफ की फसलें (Kharif crops)- इस वर्ग की फसलों को बोते समय अधिक तापक्रम तथा आर्द्रता व पकते समय शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती हैं! इस वर्ग में मुख्य रूप से धान, मक्का, ज्वार, मूंग, लोबिया, कपास, जूट, आदि फसलें आती हैं! 



 (2) रबी की फसलें (Rabi crops) - इस वर्ग की फसलें बोते समय अपेक्षाकृत कम तापक्रम तथा पकते समय अधिक तापमान व शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती हैं! फसलों में मुख्यतः जौ, राई, गेहूँ, जई, आदि फसलें आती हैं! 



 (3) जायद की फसलें (Zaid crops) - इस वर्ग की फसलें में गर्म शुष्क मौसम को सहन करने की छमता होती है इस वर्ग में मुख्य, खरबूजा, तरबूज, ककड़ी, खीरे की फसलें आती है! 



 (C) फसलों का आर्थिक वर्गीकरण (economic classification) - 



(1) अनाज की फसलें (cereal crops) - इन फसलों के दाने मनुष्यो व पशुओं के आहार के प्रयोग मे लाये जाते हैं और वानस्पतिक भाग पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है, ज्वार, गेहूँ, मक्का, बाजरा, जौ, जई, जई चीना, मण्डूआ आदि!


 (2) दलहनी फसलें- इस वर्ग की फसलों में प्रोटीन अधिक होती हैं, जैसे -मूंग, उर्द, मसूर, चना मटर, अरहर आदि! 


 (3) तिलहनी फसलें - इस वर्ग की फसलें मुख्यतः तेलो के लिए उगाई जाती हैं, जैसे - सूरजमुखी, तिल, राई, मूंगफली, अरण्डी आदि! 


 (4) रेशे वाली फसलें (Fiber crops) - इस वर्ग की फसलों से रेशा प्राप्त किया जाता है, जिससे टाट, बोरे, दरी आदि तैयार किया जाता है जैसे - जूट, कपास, सनई, पटसन आदि!!


 (5) शर्करा वाली फसलें - इस वर्ग की फसलों से चीनी तैयार की जाती है, जैसे - गन्ना, चुकन्दर आदि! गन्ने के तने में व चुकन्दर की जड़ो में चीनी का संग्रह होता है ! 


 (6) सब्जी वाली फसलें - ये फसलें सब्जी के लिए उगाई जाती हैं, जैसे -टमाटर भिण्डी, बैगन, लौकी, गाजर, मूली, पातगोभी, फूलगोभी, पालाक आदि! 



 (7) चारे वाली फसलें - इस वर्ग की फसलें पशुओं के लिए चारे के उद्देश्य से उगाई जाती हैं, जैसे - बरसीम, लोबिया, ज्वार, नेपियर, घास जई बजरा आदि!


 (8) मसाले व औषधि वाली फसलें - इन वर्ग फसलों को उगाने का उद्देश्य मसाले व औषधि प्राप्त करना है, जैसे -जीरा, सौंफ, मिर्च धनिया, अजवायन, मेथी, हल्दी, प्याज में सौंठ, पोदिना, अदरक आदि!


 (9) उद्दीपक फसलें - इस वर्ग में तम्बाकू, चाय कॉफी, अफीम, आदि आती हैं! 


 (10) फलो वाली फसलें - इस वर्ग में खरबूजा, तरबूजा, खीरा, ककड़ी, सिंघाडा टमाटर आदि!

कृषि के मौखिक प्रश्न


प्रश्न 1. पूसा सुगंध -3 किस फसल की प्रजाति है?
 उत्तर -धान

 प्रश्न 2. एर्गोनोमी के पिता किसे कहा जाता है?
 उत्तर - पीटरो डे. क्रेसेन्जी

 प्रश्न 3. Icar का पूरा नाम क्या है?
 उत्तर - Indian council of agricultural research

 प्रश्न 4. IARI का पूरा नाम क्या है?
उत्तर - Indian agricultural Research Institute

 प्रश्न 5.दो संकर धान की जातियो के नाम लिखिए?
 उतर - पंत संकर धान -1 ,नरेंद्र संकर धान -2

प्रश्न 6. खैरा रोग किस फसल में और किसकी कमी से लगता है?
 उत्तर - धान में - जिंक की कमी से

 प्रश्न 7. फफूंद नाशक रसायनों के नाम लिखिए?
 उत्तर - ब्लाइटाक्स, थीरम

प्रश्न 8 - एग्रीकल्चर शब्द किस भाषा से लिया गया है?
उत्तर- लेटिन भाषा से

प्रश्न 9. फसल किसे कहते हैं?

उत्तर- पौधों के ऐसे समूह को ,जिसे मनुष्य किसी ना किसी रूप में अपने उपभोग के लिए उगाता है ,फसल कहते हैं !

प्रश्न 10. कौन  सी फसले उद्दीपक  फसलें कहलाती है!

 उत्तर - चाय,तम्बाकू ,पोस्ता काफी !

प्रश्न 11.कौन -  सी फसले हरी खाद के रुप में उपयोग की जाती हैं ?

उत्तर - सनई, ढैंचा,  मूंग , सेंजी , लोबिया आदि!

प्रश्न 12. कौन सी फसले मृदा  आरक्षक फसलें   कहलाती हैं?

 उत्तर -  मूंग , उर्दू , लोबिया आदि!

 प्रश्न 13.किस  फसल को कीट आकर्षक  फसल कहते हैं ?

उत्तर- भिंडी

प्रश्न 14. आलू प्याज की फसल चक्र गहनता क्या है ?

उत्तर - 300 प्रतिशत

प्रश्न 15.  रिले क्रॉपिंग में फसल चक्र गहनता कितना प्रतिशत होता है ?

उत्तर - 400% 

प्रश्न 16. एग्रो एजी कल्चर  का प्रयोग  किन फसलों  करते हैं ?

उत्तर  - गेहूं  , बाजरा  , मक्का  , आदि  अदलहनी फसलों में!


सोमवार, 27 जून 2016

साइलेज ( silage) चारा


खरीफ रीतु मे हरा चारा, ज्वार, बाजरा, मक्का, लोविया व बहुत सी घासें प्राय : आवश्यकता से अधिक मिलती है!

यह सब पशुओं को हरी दशा में नहीं खिलाया जा सकता! अत:चारे को काटकर, इसमें थोड़ा सा नमक मिलाकर, गड्ढो में डाल दिया जाता है!

साइलेज बनाने के लिए कड़े और परिपक्व चारे लेने चाहिए! गड्ढों में हवा नहीं रहनी चाहिए!

गड्ढे को पुआल (mulch) और मिट्टी से ढक देते हैं! गड्ढे में इस चारे में रासायनिक परिवर्तन होते हैं!

पशुओं में गलाघोंटू रोग -


गलाघोंटू गाय -भैसों में पास्चुरैला मल्टीसिडा नामक जीवाणु से फैलने वाला एक संक्रामक रोग हैं! इस जीवाणु का विकास श्वास नली में होता हैं! यह गाय -भैसों के अतिरिक्त भेड़ और बकरियाँ में भी हो सकता है! इस रोग में पशु को तेज बुखार (104-107सेन्टीगर्ेट F) चढता है! श्वास नली अवरूद्ध होने से वह घुर्र -घुर्र की आवाज़ करता है! इस रोग का आक्रमण अचानक होता हैं! रोगी पशुओं के शरीर में खून की कमी हो जाती है! पशु को सॉस लेने में तकलीफ होती हैं! जीभ, गला, गर्दन, सूज जाते हैं! आंखें सूज जाते हैं! आंख, नाक, तथा मुंह से पानी टपकता है! यह बड़ा भयानक रोग हैं! इस रोग का प्रकोप प्राय : बर्षा रीतु मे होता है! इस रोग से पीडित 70-100% पशुओं की मृत्यु हो जाती है! बचाव - बचाव उपचार से बेहतर है! रोगी पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए! पशुओं के उपचार हेतु तुरंत पशु -चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए! बीमारी फैलने की दशा में गलाघोंटू के उपचार हेतु सीरम का टीका लगवा देना चाहिए! इससे लगभग 15 दिन के लिए पशुओं का रोग से बचाब हो जाता है! रोगी पशुओं के शरीर को जला देना चाहिए अथवा जमीन में गाड़ देना चाहिए! पशु के रहने के स्थान को फिनाइल से धो देना चाहिए! पशुओं को चारागाह में न चराना चाहिए! बर्षा से पूर्व मई -जून में पशु को गलाघोंटू रोग का टीका लगवा देना चाहिए! इस टीके से पशुओं का गलाघोंटू रोग से एक बर्ष तक बचाव हो जाता है! उपचार - रोग की शुरू की आवस्था में ही इलाज लाभकर हो सकता है! सल्फानैमाइड जैसे - सल्फापाइरीडिन और सल्फाडीमाइडिन आदि और एन्टीबायोटिक दवाये पशु - चिकित्सक के परामर्श से देनी चाहिए!

रविवार, 26 जून 2016

पशुओं में अफरा रोग


इस रोग से पेट में अधिक गैस बनती है!

 गैस बाहर निकालकर पेट फूल जाता है!

 पशु को सॉस लेने में तकलीफ होती हैं!

पशु का पेशाब रूक जाता है!

पशु बैचेन हो जाता है!

शीर्घ उपचार न मिले तो तो पशु की मौत भी हो सकती है!

 उपचार हेतु 500मिली.अलसी के तेल में!50-60 मिली. तारपीन का तेल मिलाकर नाल व्दारा पशु को पिला देना चाहिए!

 बड़े पशुओं को 500 मे मिली. अलसी का तेल में 100मिली.तारपीन का तेल +100 ग्राम नौसादर + 50 ग्राम हींग का चूरा मिलाकर पिला देना चाहिए!

अगर पशु की हालत चिन्ता जनक हो तो पशु के पेट के बायी ओर कोख के माध्यम टोकर कैनुला नामक यंत्र से छेद करके गैस पेट से निकाल देनी चाहिए !! न्

गुरुवार, 23 जून 2016

उपकरण तथा इनका उपयोग -


1. लैक्टोमीटर = दूध की शुध्दता मापने का यंत्र!

 2. फैदोमीटर= समुद्र की गहराई नापने का यंत्र!

 3. सीस्मोमीटर = यह भूकम्प के धक्के की गति को दर्शता हैं!

 4. सूक्ष्मदर्शी = सूक्ष्म वस्तुओं का निरीक्षण करने के लिए यंत्र!

 5. सूक्ष्ममापी = बैक्टीरिया, फंफूद,बीजाणुआदि का आकार मापने के लिए!

 6. सिफेगमोमैनोमीटर = धमनियाँ में रक्त का दबाव (blood pressure) नापने के लिए!

 7. शर्करामापी = गन्ने में शक्कर की मात्रा मापने के लिए!

 8. कैलीपर्स = ठोस का आन्तरिक एवं बाहरी व्यास मापने के लिए!

 9. क्राइओमीटर = बहुत कम तापक्रम ( शून्य डिरगी सेन्टीर्गेट) मापने का यंत्र!

 10. डाइनेमोमीटर = विधुत शक्ति मापने का यंत्र!

 11. इलेक्ट्रोमीटर = विधुत धारा में बहुत कम विभव अन्तर मापने का यंत्र!

 12. फ्लक्लमीटर= चुम्बकीय फ्वक्स मापने का यंत्र!

 13. गलवेनोमीटर= विधुत धारा मापने का यंत्र!

 14. हाइड्रोफोन = जल के अन्दर ध्वनि मापने का यंत्र!

 15. मेनोमीटर = गैसो का दबाव मापने का यंत्र!

 16. माइक्रोफोन = ध्वनि तरंगों को विधुत सिग्नल्स मे परिवर्तन करने का यंत्र!

 17. ओमीटर = विधुत प्रतिरोध को ओम में मापने का यंत्र!

 18. वाटमीटर = एम विधुत सरकिट की शक्ति मापने का यंत्र!

 19. वेवमीटर = रेडियो तरंग की लम्बाई मापने का यंत्र!!!!
  
20. टेंसियोमीटर - मृदा नमी 

21. पेंट्रोमीटर - मृदा शक्ति 

22. पीजोमीटर - मृदा में जल की गहराई 

23. पिक्नोमीटर - मृदा का घनत्व ( स्थूल घनत्व, सत्य घनत्व)
24. बोफर्ट पैमाना - वायु की दिशा, वायु का वेग  मापने का पैमाना 
25. ओक्जेनोमीटर - पौधों की वृद्धि मापने 
26. लाइसीमीटर - वाष्प का वाष्पोसर्जन ( मृदा और पौधों से जल की हानि)
27.  गैनागपोटोमीटर - वाष्पोसर्जन (पौधों से जल की हानि)
28. एवापोमीटर ( evapometer)- वाष्पीकरण ( मृदा से जल की हानि)
29 . पाइरानोमीटर - सोलर विकर्ण मापने का यंत्र
30. पायरोमीटर - उच्च ताप मापने का यंत्र 
31. ओक्जेनोमीटर - व्रक्षो की मोटाई मापने वाला यंत्र
32. डेसिबल- ध्वनि की तीव्रता मापने क यंत्र
33. डापसन- ओजोन परत की मोटाई मापने की इकाई