1.नाइट्रोजन -
पौधों की बढवार रुक जाती है! तथा तना छोटा एवं पतला हो जाता है पत्तियां नोक की तरह से पीली पड़ने लगती हैं!
यह प्रभाव पहले पुरानी पत्तियों पर पड़ता है तथा नई पत्तियां बाद में पीली पड़ती है
पौधों में टिलरिंग कम होती है फूल कम या बिल्कुल नहीं लगते हैं
फूल एवं फल गिरना प्रारंभ कर देते हैं दाने कम बनते हैं आलू का विकास घट जाता है!
2.फास्फोरस - (१) पौधों की वृध्दि कम हो जाती है तथा जड़ों का विकास भी कम हो जाता है !
और पत्तियों का रंग गहरा हरा तथा किनारे कहरदार हो जाते हैं !
(२)पुरानी पत्तियां शेरों की तरह से सूखना शुरु कर देती है तथा उनका रंग तावे जैसा या बेगनी हरा हो जाता है !
(३)टिलरिंग घट जाती है!
(४) फल कम लगते हैं दोनों की संख्या भी कम जाती है !
(५) अधिक कमी होने पर तना गहरा पीला पड़ जाता है !
3.पोटाश - (१) पौधों में ऊपर की कालिकाओं की वृद्धि रुक जाती है !
(२) पत्तियां छोटी पतली व सिरो की तरफ सूखकर भूरी पड़ जाती है!
और मुड़ जाती हैं!
(३) पुरानी पत्तियां किनारो और सिरो पर झुलसी हुई दिखाई पड़ती है!
तथा कई किनारों से सुखना प्रारंभ कर देती हैं!
तथा किल्ले बहुत अधिक निकलते हैं !
(४) तने कमजोर हो जाते है! ओर फल तथा बीज पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाते हैं तथा इनका आकार छोटा सिकुड़ा हुआ एवं रंग हल्का हो जाता है !
(५) पौधों पर रोग लगने की संभावना अधिक होती है!
4.कैल्शियम - नए पौधों की पत्तियां सबसे पहले प्रभावित होती हैं !
ये प्राय: छोटी और असामान्यता गहरे हरे रंग की हो जाती हैं !
पत्तियों का अग्रभाग हुक के आकार का हो जाता है पत्तियों को देखकर इस तत्व की कमी आसानी से पहचानी जा सकती है !
जड़ो का विकास बुरी तरह प्रभावित होता है और जड़े सड़ने लगती लगती है !
अधिक कमी की दशा में पौधों की शीर्ष कलिकाएं (वर्धनशील अग्रभाग ) सूख जाती हैं कलिकाएं और पुष्प परिपक्त अवस्था में गिर जाते हैं !
तनों की संरचना कमजोर हो जाती है
5.मैग्नीशियम - पुरानी पत्तियां किनारों और सिरो से एवं मध्य भाग से पीली पड़ने लगती है!
तथा अधिक कमी की स्थिति से प्रभावित पत्तियां सूख जाती हैं ! और गिरने लगती हैं! पत्तियां आमतौर पर छोटी तथा अंतिम अवस्था में कड़ी हो सकती हैं और किनारों से अंदर की ओर मुड़ जाती हैं !
कुछ सब्जी वाली फसलों में नसों के बीच पीले धब्बे बन जाते हैं ! और अंत में संतरे के रंग के लाल और गुलाबी रंग के चमकीले धब्बे बन जाते हैं !
टहनियां कमजोर होकर फफूंद जनित रोग के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं! साधारणता परिपक्त पत्तियां गिर जाती हैं!
6.गन्धक - नई पत्तियां एक साथ पीले हरे रंग की हो जाती हैं तने की वृद्धि रुक जाती है!
तना सक्त लकड़ी जैसा पतला हो जाता है !
7.जस्ता - जस्ते की कमी के मुख्य लक्षण पौधों के उपरी भाग से दूसरी या तीसरी पूर्ण परिपक्त पत्तियों से प्रारंभ होते हैं!
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