मंगलवार, 21 मार्च 2017

सरसों की खेती / कल्टीवेशन ऑफ़ मस्टर्ड (Cultivation of mustard )

सरसों का रबी की तिलहनी फसलो में एक प्रमुख स्थान है, सरसों की खेती सीमित सिचाई की दशा में भी अधिक लाभदायक फसल है, सरसों की फसल के लिए उन्नत विधियाँ अपनाने से उत्पादन एवं उत्पादकता में बहुत ही वृद्धि होती है

प्रजातियाँ/ Varieties

सरसों की उन्नतशील प्रजातियाँ कौन कौन सी हैं ?

राई या सरसों के लिए बोई जाने वाली उन्नतशील प्रजातियाँ जैसे क्रांति, माया, वरुणा, इसे हम टी-59 भी कहते है, पूसा बोल्ड, उर्वशी, तथा नरेन्द्र राई, प्रजातियाँ की बुवाई सिंचित दशा में की जाती है तथा असिंचित दशा में बोई जाने वाली सरसों कीप्रजातियाँ जैसे की वरुणा, वैभव तथा वरदान, इत्यादि प्रजातियाँ को बवाई करना चाहिए

उपयुक्त भूमि

सरसों की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु और भूमि की आवश्यकता होती है?

सरसों की फसल के लिए 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान होना चाहिए, सरसों की फसल के लिए दोमट भूमि सर्वोतम होती है, जिसमे की जल निकास उचित प्रबन्ध होना चाहिए

खेत की तैयारी

सरसों की खेती के लिए हम भूमि की तैयारी किस तरह से करें?

सरसों की खेती के लिए खेत की तैयारी सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए, इसके पश्चात दो से तीन जुताईयाँ देशी हल या कल्टीवेटर से करना चाहिए, इसकी जुताई करने के पश्चात पाटा लगा कर खेत को समतल करना अति आवश्यक हैं

बीज बुवाई/ seed growing

सरसों की बीज दर प्रति हैक्टर कितनी मात्रा में होनी चाहिए?

सिंचित क्षेत्रो में सरसों की फसल की बुवाई के लिए 5 से 6 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टर के दर से प्रयोग करना चाहिएI

सरसों के बीज की बुवाई से पूर्व बीजो का शोधन किस तरह से करें? 

सरसों की फसल के लिए बीज जनित रोगों की सुरक्षा हेतु 2 से 5 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करके बोना चाहिएI

सरसों के बीज की बुवाई के लिए उपयुक्त समय क्या है, यह कैसे निर्धारित करें?

सरसों की बुवाई का उपयुक्त समय सितम्बर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक है, सरसों की बुवाई देशी हल के पीछे 5 से 6 सेंटी मीटर गहरे कूडो में 45 सेंटी मीटर की दूरी पर  करना चाहिए

जल प्रबंधन/ water management

सरसों की फसल में सिचाई का सही समय क्या है?

सरसों की फसल में पहली सिचाई फूल आने के समय तथा दूसरी सिचाई फलियाँ में दाने भरने की अवस्था में करना चाहिए, यदि जाड़े में वर्षा हो जाती है, तो दूसरी सिचाई न भी करें तो उपज अच्छी प्राप्त हो जाती है

पोषण प्रबंधन

सरसों की फसल में खाद और उर्वरको का प्रयोग हमे कब करना चाहिए, और कैसे करना चाहिए?

सरसों की खेती के लिए 60 कुन्तल गोबर की सड़ी हुई खाद को बुवाई से पूर्व अंतिम जुताई के समय खेत में मिला देना चाहिए तथा सिंचित दशा में 120 किलोग्राम  नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग करते हैं, नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले, अंतिम जुताई के समय खेत में मिला देना चाहिए, शेषआधी नाइट्रोजन की मात्रा बुवाई के 25 से 30 दिन बाद टापड्रेसिग रूप में प्रयोग करना चाहिए

खरपतवार प्रबंधन/ weed management

खरपतवार का नियत्रण सरसों की फसल में हम कैसे करें?

सरसों की खेती में बुवाई के 15 से 20 दिन बाद घने पौधों को निकाल कर उनकी आपसी दूरी 15 सेन्टीमीटर कर देनी चाहिए, खरपतवार नष्ट करने के लिए एक निराई गुड़ाई सिचाई के पहले और दूसरी सिचाई के बाद करें, रसायन द्वारा खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडामेथालिन 30 ई.सी. रसायन की 3.3 लीटर मात्रा को प्रति हैक्टर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करना चाहिए, बुवाई के 2-3 दिन अंतर पर यह छिडकाव करना अति आवश्यक है

रोग प्रबंधन/Diseases management

 सरसों की फसल में लगने वाले रोगों का नियंत्रण किस तरह से करें?

सरसों की फसल में प्रमुख रोग जैसे आल्टरनेरिया, पत्ती झुलसा रोग, सफ़ेद किट्ट रोग, चूणिल आसिता रोग तथा तुलासिता रोग फसल में लगते है, इन रोगों के नियत्रण के लिए मेन्कोजेब 75 प्रतिशत नामक रसायन को 800-1000 लीटर पानी में मिलकर छिडकाव करना चाहिए

कीट प्रबंधन/Insects management

सरसों की फसल में कीट लग जाते है, उनकी रोकथाम किस तरह से करें?

सरसों में कीट अलग अलग तरह के होते -

सरसों की आरा मक्खी यह काले रंग की घरेलु मक्खी से छोटी होती है, मादा का अंडा रोपण आरी के आकार का होने के कारण इसे आरा मक्खी कहते हैं, इस कीट की सुड़ियाँ पत्तियों के किनारे पर छेद बनती है और बहुत तेजी से खाती है, इसके नियत्रण के लिए मैलाथियान 50 ई.सी. 1.5 लीटर को 700 से 800 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करना चाहिएI

चित्रित कीट इस कीट के प्रौढ़ तथा शिशु अपने चूसने वाले मुखंगो को पौधों की कोमल पत्तियों, शाखाओ, फूलो, तनो, तथा फलियों के रस चूसते है, इसका आक्रमण अक्टूबर से फसल कटने तक कभी भी हो सकता है, इसके नियंत्रण के लिए डाईमेथोएट 30 ई.सी. 1 लीटर या फेंटोथियान 50 ई.सी. 1.5 लीटर मात्रा को 700 से 800 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करना चाहिएI

माहू  -  माहू की सबसे बड़ी समस्या है, यह पंखहीन तथा पंख युक्त हल्के सिलेटी या हरे रंग का कीट होता है, इस कीट के प्रौढ़ तथा शिशु पौधों के कोमल तनो, पत्तियों, फूलो एवम नयी फलियों के रस चूसते है, इस कीट का प्रकोप दिसंबर से मार्च तक रहता है, इसके नियंत्रण के लिए डाईमेथोएट 30 ई.सी. 1 लीटर फेंटोथियान 50 ई.सी. 1 लीटर मात्रा को 700 से 800 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना अति आवश्यक हैं

फसल कटाई/Crops Harvesting

सरसों की फसल की कटाई का उपयुक्त समय क्या है और इसका भण्डारण किस तरह से करें?

सरसों की फसल में जब 75% फलियाँ सुनहरे रंग की हो जाए, तब फसल को काटकर,सुखाकर या मड़ाई करके बीज अलग कर लेना चाहिए, सरसों के बीज को अच्छी तरह सुखाकर ही भण्डारण करना चाहिए

पैदावार/yield

सरसों की फसल से प्रति हैक्टर कितनी उपज प्राप्त कर सकते हैं?

असिंचित क्षेत्रो में इसकी पैदावार 20 से 25 कुन्तल तक तथा सिंचित क्षेत्रो में 25 से 30 कुन्तल प्रति हैक्टर तक प्राप्त हो जाती हैं

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