1. मिलवा फसल (मिक्स्ड क्रॉपिंग) - एक ही मौसम में एक ही खेत में एक से अधिक फसलो को उगाना या बोना मिलवां फसल कहलाता हैं! मिलवा फसले छिटकवाँ अथवा पंकित या लाइन में बोई जाती हैं!
2. बहुफसली खेती (मल्टीप्ल क्रॉपिंग और रिले क्रॉपिंग/multiple cropping or relay croppi
ng)- बहुफसली खेती से तातपर्य उस कृषि पद्दति से है जिसमे एक ही खेत में एक बर्ष की अवधि में दो या दो से अधिक फसले उगाई जाती हैं!
3.शुष्क खेती(ड्राई फार्मिंग/dry framing)- शुष्क खेती का अर्थ उन क्षेत्रों की फसल उत्पादन विधि से है जहाँ वार्षिक वर्षा 40- 48 सेंटीमीटर तक या इससे कम होटी हैं तथा सिचाई का अभाव है!
4. दियारा खेती- नदियों के दोनों से लगी भूमि जो की बर्षा ऋतु में बाढ़ के पानी में डूब जाती है और वर्षा समाप्त होने पर पानी उतरते ही दिखाई देने लगती है दियारा भूमि कहलाती है इस प्रकार की भूमि में खेती करने को दियारा खेती कहतें है !
5.मिश्र या मिश्चित खेती(mixed farming)- मिश्रित खेती का अर्थ खेती की उस व्यवस्था से है जिसमे फसल उगाने के साथ साथ कृषि से सम्बंधित सहायक धंधे भी अपनाये जाते है, जो कि खेती के पूरक होते हैं, जैसे - खेती के साथ - साथ पशु - पालन , मुर्गी पालन, भेड़, बकरी ,सुगर पालन ,मौन(मधुमक्खी ) पालन आदि !
6. विशिष्ट खेती (specialized farming/स्पेशलाइज्ड फार्मिंग)- विशिष्ट खेती उस खेती जो कहते हैं जिसकी कुल आय का 50% या इससे अधिक आय एक ही फसल या एक ही कृषि जिन्स से प्राप्त होती है , उदाहरण - यदि किसी फार्म या किसी किसान के खेत पर आधे से अधिक भाग पर गन्ना की खेती होती हैं तो ऐसी कृषि को गन्ने की विशिष्ट खेती कहते हैं अथवा धान आलू , गेहूं, कपास अथवा जिस फसल का क्षेत्रफल 50% से अधिक होगा उसे उसी फसल की विशिष्ट खेती कहेगे ,जैसे- बंगाल , तमिलनाडु , उड़ीसा में धान महाराष्ट्र और गुजरात में कपास , असोम में चाय महाराष्ट्र तथा वेस्ट उत्तर प्रदेश में गन्ना , हिमाचल प्रदेश में सेब की खेती आदि !
इस खेती से यह लाभ है कि जलवायु और भूमि जे के गुणो के अनुसार विशिष्ट खेती करने से आदर्श उपयोग होता है! पैदावार अधिक होती हैं! परन्तु विशिष्ट खेती के कुछ दोष हैं, जैसे - प्रतिकूल मौसम तथा बाजार की स्थति का अधिक प्रभाव पड़ता है !
एक ही फसल उगाने से मृदा उर्वरता में कमी आ जाती हैं! किसान को बर्ष भर में एक बार या दो बार ही आय होती हैं!!
7. यांत्रिक खेती ( mechanized farming)-
यांत्रिक खेती का अर्थ उस खेती से है जो पूर्यता या अधिकाशतः यंत्रो द्वारा की जाती हैं! ऐसी खेती में मनुष्य बल का प्रयोग अथवा पशु का प्रयोग के स्थान पर यंत्रो का अधिक प्रयोग में लाये जाते है ! यांत्रिक खेती में श्रम के स्थान पर पूँजी तथा मशीनों का महत्व अधिक है!!
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2. बहुफसली खेती (मल्टीप्ल क्रॉपिंग और रिले क्रॉपिंग/multiple cropping or relay croppi
ng)- बहुफसली खेती से तातपर्य उस कृषि पद्दति से है जिसमे एक ही खेत में एक बर्ष की अवधि में दो या दो से अधिक फसले उगाई जाती हैं!
3.शुष्क खेती(ड्राई फार्मिंग/dry framing)- शुष्क खेती का अर्थ उन क्षेत्रों की फसल उत्पादन विधि से है जहाँ वार्षिक वर्षा 40- 48 सेंटीमीटर तक या इससे कम होटी हैं तथा सिचाई का अभाव है!
4. दियारा खेती- नदियों के दोनों से लगी भूमि जो की बर्षा ऋतु में बाढ़ के पानी में डूब जाती है और वर्षा समाप्त होने पर पानी उतरते ही दिखाई देने लगती है दियारा भूमि कहलाती है इस प्रकार की भूमि में खेती करने को दियारा खेती कहतें है !
5.मिश्र या मिश्चित खेती(mixed farming)- मिश्रित खेती का अर्थ खेती की उस व्यवस्था से है जिसमे फसल उगाने के साथ साथ कृषि से सम्बंधित सहायक धंधे भी अपनाये जाते है, जो कि खेती के पूरक होते हैं, जैसे - खेती के साथ - साथ पशु - पालन , मुर्गी पालन, भेड़, बकरी ,सुगर पालन ,मौन(मधुमक्खी ) पालन आदि !
6. विशिष्ट खेती (specialized farming/स्पेशलाइज्ड फार्मिंग)- विशिष्ट खेती उस खेती जो कहते हैं जिसकी कुल आय का 50% या इससे अधिक आय एक ही फसल या एक ही कृषि जिन्स से प्राप्त होती है , उदाहरण - यदि किसी फार्म या किसी किसान के खेत पर आधे से अधिक भाग पर गन्ना की खेती होती हैं तो ऐसी कृषि को गन्ने की विशिष्ट खेती कहते हैं अथवा धान आलू , गेहूं, कपास अथवा जिस फसल का क्षेत्रफल 50% से अधिक होगा उसे उसी फसल की विशिष्ट खेती कहेगे ,जैसे- बंगाल , तमिलनाडु , उड़ीसा में धान महाराष्ट्र और गुजरात में कपास , असोम में चाय महाराष्ट्र तथा वेस्ट उत्तर प्रदेश में गन्ना , हिमाचल प्रदेश में सेब की खेती आदि !
इस खेती से यह लाभ है कि जलवायु और भूमि जे के गुणो के अनुसार विशिष्ट खेती करने से आदर्श उपयोग होता है! पैदावार अधिक होती हैं! परन्तु विशिष्ट खेती के कुछ दोष हैं, जैसे - प्रतिकूल मौसम तथा बाजार की स्थति का अधिक प्रभाव पड़ता है !
एक ही फसल उगाने से मृदा उर्वरता में कमी आ जाती हैं! किसान को बर्ष भर में एक बार या दो बार ही आय होती हैं!!
7. यांत्रिक खेती ( mechanized farming)-
यांत्रिक खेती का अर्थ उस खेती से है जो पूर्यता या अधिकाशतः यंत्रो द्वारा की जाती हैं! ऐसी खेती में मनुष्य बल का प्रयोग अथवा पशु का प्रयोग के स्थान पर यंत्रो का अधिक प्रयोग में लाये जाते है ! यांत्रिक खेती में श्रम के स्थान पर पूँजी तथा मशीनों का महत्व अधिक है!!
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